Thursday, October 8, 2020

हर महीने 6700 करोड़ की कमाई कर रहे हैं यह शख़्स, एक प्रोडक्ट ने बदल दी इनकी जिंदगी

 सभी नए इंटरप्रेन्योर यह प्रयास करते हैं कि उद्यम पूँजी के द्वारा ही अपनी ताकत को बढ़ाये और आगे की सफलता  सुनिश्चित करे। पर कुछ ऐसे भी होते हैं जिनकी सोच बिलकुल भिन्न होती है और आगे बढ़ने के लिए वे एक अलग ही रास्ता चुनते हैं। जमीं से ऊपर उठकर सबसे तेजी से बढ़ने वाली, बिलियन डॉलर कंपनी का गठन भी कर लेते हैं वो भी बिना किसी पूँजी निवेश के।


हम बात कर रहे हैं श्रीधर वेम्बू की, जो फाउंडर और सीईओ हैं एडवेंट नेट के। आज यह कंपनी प्रति माह 1 मिलियन डॉलर अर्थात् 6700 करोड़ का प्रॉफिट दे रही है। एडवेंट नेट ने अभी हाल में ही एक नया प्रोडक्टिविटी सुइट शुरू किया है जिसका नाम जोहो है और यह सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में एक क्रांतिकारी शुरुआत है।


श्रीधर वेम्बू का  बचपन चेन्नई के एक मामूली से मध्यम-वर्गीय परिवार में बीता। उन्होंने अपनी शुरुआत की पढ़ाई तमिल मीडियम गवर्नमेंट स्कूल से किया। वे पढ़ाई में बहुत ही अच्छे थे, और बाद में उन्होंने आई.आई.टी मद्रास से अपनी पढ़ाई पूरी की। उनकी इच्छा इलेक्ट्रॉनिक्स में पढ़ाई करने की थी पर उन्होंने कंप्यूटर साइंस से पढ़ाई पूरी की।



वेम्बू अपने इंस्टिट्यूट में पी एच डी के लिए योग्य नहीं थे इसलिए उन्होंने 1989 में  प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजिनीरिंग में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की। पीएचडी की पढ़ाई के बाद अपने यूएस बेस्ड भाई के साथ भारत लौट आये और यहाँ उन्होंने सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट की शुरुआत की। कुछ महीनों बाद ही उनके 150 कस्टमर बन गए, परंतु साल 2000 में उनके सामने बहुत सारी परेशानियां आई और उन्होंने यह तय किया कि अब कुछ नया और क्रांतिकारी बदलाव लाना है।

उनके इसी क्रांतिकारी बदलाव के तहत जोहो का जन्म हुआ। जोहो इंटरनेट के जरिये जोहो ऑफिस सुइट बेच रही है। जिनसे उन्हें 500 मिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ। जोहो अपनी सफलता से सेल्सफोर्स की कस्टमर रिलेशन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और गूगल डॉक्स को टक्कर देने शुरु कर दिए।

जोहो अभी एक लाख से ज्यादा सफल कारोबारियों को अपनी सेवाएं दे रही है और इसके 18 मिलियन उपयोग करने वाले हैं। इतना ही नहीं जोहो छोटी कंपनियों को कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट की सेवा मुफ्त में प्रदान कर रही है और बड़ी कंपनियों के लिए भी इसके लिए महीने में केवल 10 डॉलर का ही खर्च आता है।

इस भारतीय इंटरप्रेन्योर ने बहुत ही कम समय में इतनी कीर्ति और सफलता हासिल कर ली है, परंतु उन्हें सेल्सफोर्स के फाउंडर मार्क बेनिऑफ, जो एक जाने माने अमेरिकन इंटरप्रेन्योर हैं, ने धमकाया और जोहो को खरीदने की कोशिश की; पर वे सफल नहीं हो सके।



“मार्क ने कहा कि गूगल एक दानव और  इसके साथ आप मुकाबला भी नहीं कर सकते  है। तब मैंने कहा कि उसे गूगल से डरने की जरुरत है,  मुझे तो जिन्दा रहने के लिए सिर्फ सेल्सफोर्स से अच्छा करने की जरूरत है”।


वेम्बू का यह विचार है कि सभी स्टार्टअप को बिना किसी फंडिंग के अपना बिज़नेस करना चाहिए। वे कहते हैं कि सभी को सीखना चाहिए कि कैसे बेहतर सर्विस दिया जाए कि कस्टमर्स दाम चुकाने पर विवश हो जाये। मुग़ल माइक मोरिट्ज़ जैसी बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियों ने उनके फर्म में इन्वेस्ट करने की पेशकश की, परंतु यह वेम्बू को इसे स्वीकार नहीं था। इसके अलावा वेम्बू ने अपनी कंपनी के लिए हायर डिग्री वाले जैसे आईआईटी या आईआईएम के लोगों को जॉब नहीं दी बल्कि वे हमेशा ऐसे नवयुवक पेशेवरों को चुना करते थे जिन्हें दूसरों ने रिजेक्ट कर दिया।


हम कॉलेज की डिग्री या ग्रेड नहीं देखते। क्योंकि भारत के सभी व्यक्ति ऊँचे आर्थिक स्तर से नहीं आते और न ही उन्हें टॉप रैंक के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने का मौका मिल पाता है। परन्तु कुछ सच में बहुत क्षमतावान होते हैं।”


श्रीधर वेम्बू आज जिस स्थिति में हैं, नए इंटरप्रेन्योर के लिए वह सपना सा है। उनकी असाधारण उपलब्धियां सभी के लिए प्रेरणा देने वाली है। श्रीधर वेम्बू उत्कृष्ठता का जीता-जागता उदाहरण हैं जो पैसे के पीछे नहीं भागते पैसा ही उनके पीछे भागता है।   

उन्होंने एक ऐसे क्षेत्र में कामयाबी का झंडा गाड़ा, जहाँ सिर्फ और सिर्फ विदेशी कंपनियों का बोलबाला था। वैश्विक मंच पर कांटे की टक्कर देते हुए एक नामचीन ब्रांड बनाने वाले इन व्यक्तिओं में ही भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने की असली ताकत है।


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