Wednesday, May 13, 2020

छोटे से किराने की दुकान से हुई शुरुआत, आज 100 करोड़ की नामचीन कंपनी बन चुकी है !



यह कहानी ऐसे ही एक शख्स की सफलता को लेकर है। उन्होंने अपने बचपन की शुरुआत कोलकत्ता में एक छोटे से किराने की दुकान पर अपने पिता के साथ काम करते हुए व्यतीत किया और आज भारत के सबसे बड़े क्षेत्रीय खाद्य ब्रांड के कर्ता-धर्ता हैं। ऐसा कर इस शख्स ने सिद्ध कर दिया कि जो लोग बड़ा सोचते हैं और उसे साकार करना जानते हैं उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

यह कहानी भारतीय फ़ूड ब्रांड प्रिया फ़ूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड की आधारशिला रखने वाले कारोबारी गणेश प्रसाद अग्रवाल की है। सिर्फ तीन दशकों में ही अग्रवाल कंपनी विकसित होकर पूर्वी भारत के सबसे बड़े ब्रांड के रूप में उभरा है। आज इनका सालाना टर्न-ओवर 100 करोड़ रूपयों का है। बर्तमान में कंपनी के नौ प्लांट्स हैं और 100 टन का इनका रोज़ का उत्पादन है। इनके द्वारा बनाये 36 प्रकार के बिसकिट्स और पंद्रह तरीके के स्नैक्स आइटम पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड और ओडिशा के बाज़ारों में उपलब्ध है।

कोलकाता से बीस किलोमीटर दूर एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में गणेश के पिता किराने की दूकान चलाते थे। घर की माली हालात ठीक नहीं रहने पर भी उनके पिता हमेशा शिक्षा के महत्त्व पर जोर देते थे।

 अग्रवाल अपने पिता के साथ दुकान में बैठते थे और कुछ प्राइवेट ट्यूशन्स करते थे, पर उनके पिता उन्हें अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देने को कहते थे। अपना स्नातक नार्थ कोलकत्ता के सिटी कॉलेज से पूरा करने के बाद वे अपने पिता की दुकान में मदद करने लगे क्योंकि सात लोगो के परिवार को चलाने के लिए इसकी सख्त जरुरत थी। लगभग 14 सालों तक इन्होंने यह काम जारी रखा।  

आखिर में कुछ अलग करने की उनकी सोच ने उन्हें आज इस मक़ाम पर खड़ा कर दिया। किराने की दुकान पर काम करने से उन्हें यह बात तो समझ में आ गई कि खाने के सामान में कभी भी मंदी नहीं आती। सितंबर 1986 में इन्होंने एक बिस्कुट बनाने की फैक्ट्री शुरू करने का निश्चय किया। पूंजी जुटाना उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी लेकिन इन्होंने अपने हिस्से की प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर और दोस्तों से कुछ उधार लेकर पूंजी जुटाई। अपने दोस्तों से और बैंक से इन्होंने 25 लाख रुपये उधार लिए और अपने बिज़नेस की आधारशिला रखी। 

 बिस्कुट के उद्योग में जरुरी उपकरण,ओवन और बहुत सारे काम करने वाले चाहिए होते है अग्रवाल हमेशा बड़ा सोचते थे, इसलिए इन्होंने दो एकड़ जमीन अपने घर पानीहाटी के पास ली और 50 बिस्कुट बनाने वाले कारीगर नौकरी पर रखे। और इस तरह भारत के मशहूर बिस्कुट ब्रांड प्रिया का जन्म हुआ।  


अग्रवाल अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताते हैं “अधिक से अधिक काम मैं स्वयं ही करता था। और दिन भर ऑफिस से फैक्ट्री घूमता रहता था। कभी-कभी मेरा काम सात बजे सुबह से लेकर रात के एक बजे तक चलता था। वह समय मेरे लिए बहुत ही कठिन था।”

बिस्कुट का बिज़नेस आसान नहीं था क्योंकि बाजार में पहले से ही पारले-जी और ब्रिटानिया का दबदबा था। उन्होंने यह महसूस किया कि अगर मार्केटिंग बहुत अच्छी होगी तभी लोगों के मन में इस ब्रांड के लिए सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

गणेश ने बिना वक़्त गवायें तुरंत ही पांच लोगों की टीम बनाई जो घर-घर जाकर प्रिया के प्रोडक्ट के बारे में लोगों को जानकारी देने शुरू कर दिए। इन्होंने पहले ग्लुकोस और नारियल के बिस्कुट बनाए। बहुत ही कम दाम में अच्छी क्वालिटी के बिस्कुट मुहैया करना इनके बिज़नेस की रणनीति थी और यह सफल भी हुई। इसके बाद अग्रवाल ने दूसरे क्षेत्रों में भी हाथ आजमाए। 
 2005 में इन्होंने रिलायबल नाम का एक प्लांट शुरू किया जिसमें आलू के चिप्स और स्नैक्स तैयार किये जाते थे। 2012 में इन्होंने सोया नगेट्स का प्लांट डाला। आज उनके दोनों बेटे इनकी कंपनी के डायरेक्टर है।  


गणेश प्रसाद अग्रवाल जिन्होंने अपनी ऊँची सोच और कड़ी मेहनत के बल पर आज इस मक़ाम पर पहुंचे। उनके सफलता की यह यात्रा युवा उद्यमीयों के लिए बेहद प्रेरणादायक है।



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