Friday, May 15, 2020

20 हजार रूपये से शुरुआत कर 8,800 करोड़ के एक प्रसिद्ध ब्रांड को बनाने वाले दो दोस्तों की कहानी


आमतौर पर पैसे की बर्बादी और किसी के बहकने के लिए दोस्ती को ही जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। लेकिन यह एक ऐसी दोस्ती की कहानी है, जो आज औरों के लिए मिसाल बन चुकी है। यह दो पहली पीढ़ी के उद्यमियों की कहानी है, जिन्होंने अपनी दोस्ती को बखूबी निभाते हुए अनोखा कीर्तिमान स्थापित किया है।  बचपन से दोस्ती में जो एक-दूसरे का हाथ उन्होंने थामा था, 8,800 करोड़  साम्राज्य खड़ा होने के बाद भी वह साथ क़ायम है। एक सा ही नाम लिए ये दो लड़के स्कूल में जिगरी दोस्त बने, साथ-साथ पढ़ाई की, खेल में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और बाद में बिज़नेस में भी एक साथ ऊँची छलांग लगाई।


नाम के साथ-साथ इनकी सोच और सपने भी एक से ही थे। राधे श्याम अग्रवाल और राधे श्याम गोयनका ने कॉसमेटिक मार्किट को अपना पहला बिज़नेस बनाया। दोनों कॉलेज अटेंड करने के साथ-साथ अपना बहुत सारा समय कास्मेटिक के केमिकल फार्मूला जानने के लिए सेकंड हैण्ड बुक की शॉप में गुजारा करते थे। इसके साथ वे दोनों सस्ते गोंद और कार्डबोर्ड से बोर्ड गेम बनाते, ईसबगोल और टूथब्रश की रिपैकेजिंग करते और कोलकाता के बड़ा-बाजार में दुकान-दुकान जाकर बेचा करते थे।



  तीन सालों की लगातार कोशिशों के बावजूद इन्हें कास्मेटिक बिज़नेस में सफलता नहीं मिल पा रही थी। इन दोनों के संघर्ष को देखकर गोयनका के पिता ने इन्हें 20,000 रुपये हाथ में दिए और दोनों दोस्तों ने यह तय किया कि बिज़नेस में 50-50 की भागीदारी रहेगी। तब उन्होंने केमको केमिकल्स की शुरुआत की पर उन्हें यहाँ भी सफलता नहीं मिली।

 उनके अपने निजी जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। अग्रवाल और गोयनका की शादी हो गई। अब उनके ऊपर आर्थिक दबाव और जिम्मेदारी और भी बढ़ गई और दोनों बिज़नेस के नए अवसर तलाशने लगे। इसी बीच उन्हें बिरला ग्रुप में अच्छी आमदनी पर नौकरी लग गई। पांच सालों तक उन्होंने वहाँ नौकरी की और बिज़नेस के गुर सीखे। तजुर्बे हासिल करने के बाद इन्होंने नौकरी छोड़ने का निश्चय किया।




भारतीय मध्यम वर्ग को नजर में रखकर इन्होंने इमामी नाम की वैनिशिंग क्रीम बाजार में उतारा। इमामी नाम का कोई मतलब नहीं था पर सुनने में यह इटालियन साउंड करता था। उन्होंने सोचा की इससे भारतीय ग्राहक प्रभावित होंगे और ऐसा हुआ भी। उन्होंने बाजार की बहुत जानकारी ली और जाना कि जो टेलकम पाउडर टिन के बॉक्स में मिलता है वह बहुत ही साधारण लगता है तब इन्होंने एक बहुत बड़ा दांव खेला। टेलकम पाउडर को एक प्लास्टिक के कंटेनर में बहुत ही खूबसूरती से पैक कर और उसमें गोल्डन लेबलिंग कर एक पॉश और विदेशी लुक दिया।

 और फिर इस उत्पाद ने उड़ान भरना शुरू कर दिया। इसकी मांग दिनों-दिन बढ़ती चली गई और इसमें पाउडर इंडस्ट्री के शहंशाह पोंड्स को भी पीछे छोड़ दिया। सफलता का यह पहला स्वाद अग्रवाल और गोयनका ने चखा था। उनके नए-नए प्रयोग और ग्राहकों के साथ सीधे संपर्क उनकी ताकत बन गई थी।  



अपने अगले कदम में इन्होंने एक मल्टीपर्पस एंटीसेप्टिक ब्यूटी क्रीम बोरोप्लस को 1984 में बाजार में लाया। और इसने इन्हें बाजार का लीडर बना दिया और यह लगभग 500 करोड़ का ब्रांड बन गया। इमामी ब्रांडिंग में जोरों के साथ खर्च कर रहा था। 1983 में राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म “अगर तुम न होते” में राजेश खन्ना को इमामी का मैनेजिंग डाइरेक्टर की भूमिका में दिखाया गया था। और इसके लिए रेखा ने मॉडलिंग की थी। यह रणनीति भारतीयों के मन में इमामी को एक नए मक़ाम पर ला कर रख दिया। इसके बाद इन्होंने ठंडा और आयुर्वेदिक नवरत्न तेल मार्केट में लेकर आये जिसने तीन साल के भीतर ही 600 करोड़ का प्रॉफिट दिला दिया। फिर उनका अगला कदम पुरुषों के लिए पहली बार फेयरनेस क्रीम का था जो बहुत ही सफल रहा।


बहुत से अभिनेता जैसे अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी, शाहरुख खान, ज़ीनत अमान, करीना कपूर, कंगना रनौत और बहुत से खिलाड़ी  जैसे सानिया मिर्जा, सुशील कुमार, मिल्खा सिंह, मैरी कॉम और सौरभ गांगुली ने इनके उत्पाद का प्रचार किया है। अग्रवाल और गोयनका को पता था कि सेलिब्रटी के समर्थन से वह पूरे देश भर में एक घरेलू नाम बन जाएंगे।




 यह उनकी लगन और सफलता की प्यास ही है जो आज इमामी का टर्न-ओवर 8,800 करोड़ से भी ज्यादा का है।अग्रवाल और गोयनका की दोस्ती आज के युग के लिए एक मिसाल की तरह पेश है। उनकी दोस्ती भरोसे, हिम्मत और बुलंद हौसलों की आंच में तप कर इमामी के रूप में कुंदन हो गई है। यह दोस्ताना दोनों परिवारों के बीच दूसरी पीढ़ी के बीच भी क़ायम है।  




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