Wednesday, May 13, 2020

गांव में मवेशी चराने से लेकर एक प्रतिष्ठित IAS ऑफिसर बनने तक का सफ़र तय करने वाली लड़की !


यूपीएससी के परिणाम आने के पहले वनमती ने कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और एक प्राइवेट बैंक में नौकरी कर रही थी। आज वे न केवल अपने माता-पिता की देखभाल कर रही हैं बल्कि पूरे समाज और अपने देश को उसी दृढ़ता से सेवा दे रही हैं। इसलिए कहा गया है कि अगर हौसले बुलंद हो तो कठिन से कठिन राह भी आसान हो जाती है।




सी. वनमती का जीवन प्रेरणा का सबसे अच्छा उदाहरण है जिन्होंने हमेशा आशा का दामन थाम कर रखा। वनमती केरल के इरोड जिले के सत्यमंगलम कॉलेज में पढ़ने वाली एक साधारण लड़की थी। अपने पिता के साथ रहती थीं, पढ़ाई में मेहनती थीं और कॉलेज से लौटकर अपने पशुओं को चराने के लिए लेकर जाने में उन्हें बड़ा संतोष मिलता था। परन्तु यह सब कुछ बदल गया जब उन्होंने सिविल सर्विसेस की परीक्षा देने का मन बनाया।

ऐसा नहीं है कि उन्हें एक ही बार में सफलता मिली। तीन बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। 2015 की यूपीएससी के परिणाम की अंतिम सूची में 1236 लोगों में से एक नाम उनका था। इस समय वे अपने पिता के साथ हॉस्पिटल में थीं। उनके पिता का कोयम्बटूर के एक हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। उनके पिता टी.एन. चेन्नियपन को स्पाइन में चोट लगी थी। यह घटना तब हुई जब वनमती के इंटरव्यू के सिर्फ दो दिन बचे थे। उनके पिता का सारा दर्द खुशियों में तब बदल गया जब उन्हें पता चला कि उनकी बेटी ने यूपीएससी की परीक्षा में 152 वां स्थान प्राप्त किया है। उनकी ख़ुशी की कोई सीमा नहीं थी।


सामान्य परिवार में वनमती का जन्म हुआ। उनके माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे और इरोड में इनका परिवार पशु-पालन करता था और पिता ड्राइवर थे। वनमती का बचपन भैसों के ऊपर बैठकर और जानवरों को चराते हुए बीता था। पर वे हमेशा से अपने आप को एक कलेक्टर के रूप में ही देखती थीं। जब उन्होंने बारहवीं की पढ़ाई पूरी कर ली तब उनके सम्बन्धी उनके माता-पिता को उनकी शादी के लिए सलाह दे रहे थे। उनके समुदाय में यह सामान्य सी बात थी परन्तु वनमती की अपनी अलग सोच थी। इस बात के लिए उनके माता-पिता से उन्हें हमेशा सहारा मिला।


“मैंने बारहवीं पास की तो रिश्तेदारों ने शादी के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया, लेकिन मैं अपने परिवार और समाज की स्थिति सुधारने के लिए आगे पढ़ना चाहती थी।” — सी. वनमती

वनमती ने बताया कि उन्हें एक ‘गंगा जमुना सरस्वती’ नामक सीरियल की नायिका से प्रेरणा मिली। इस सीरियल में नायिका एक आईएएस ऑफिसर थी। उनकी दूसरी प्रेरणा उन्हें जिले के कलेक्टर से मिली। जब वे वनमती के स्कूल आये थे तब उस वक्त उनको मिले आदर और सम्मान ने भी उन्हें कलेक्टर जैसा बनने को प्रेरित किया और उन्होंने सिविल सर्विसेस की पढ़ाई करने का निश्चय किया।




अन्तः-प्रेरणा अपने आप में चमत्कारिक होता है। यह एक मजबूत ताकत की तरह हमारा साथ देता है और हमें अपने सपनों से भटकने नहीं देता। हमने बहुत सारी ऐसी कहानियां सुनी है जिसमें लोग दूसरों के द्वारा चले रास्तों को उदाहरण मानकर उन रास्तों पर चल पड़ते हैं। खासकर विद्यार्थी वर्ग बिना उलझन और दुविधा में पड़े उन कहानियों की मदद से अपना रास्ता खोज निकालते हैं।

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